पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर 1.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उसके खिलाफ यह कार्रवाई की है। शुक्रवार को आरबीआई ने कहा कि बैंक ने ‘अपने ग्राहक को जानो’ (केवाईसी) और ‘ऋण और अग्रिम’ से संबंधित कुछ निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके चलते पीएनबी पर 1.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने 31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संबंध में वैधानिक निरीक्षण किया। इसके बाद बैंक को नोटिस जारी किया गया।
नोटिस पर बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद आरबीआई ने पाया कि पीएनबी ने सब्सिडी/रिफंड/प्रतिपूर्ति के जरिए सरकार से प्राप्त राशि के बदले दो राज्य सरकार के स्वामित्व वाले निगमों को कार्यशील पूंजी मांग ऋण मंजूर किए।
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रिजर्व बैंक ने कहा कि साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र का यह ऋणदाता इस बैंक के कुछ खातों में कारोबारी संबंधों के दौरान प्राप्त ग्राहकों की पहचान और पते से संबंधित रिकॉर्ड को संरक्षित करने में विफल रहा।
केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह जुर्माना विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर कोई प्रभाव डालना नहीं है।
केवाईसी पर आरबीआई का रुख सख्त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल के वर्षों में अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) मानदंडों पर सख्त रुख अपनाया है। इसके पीछे कई कारण हैं। इनमें वित्तीय अपराधों में वृद्धि शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग जैसे वित्तीय अपराधों में वृद्धि हुई है। कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर केवाईसी मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इससे वित्तीय अपराधियों के लिए अपनी पहचान छिपाना और अवैध गतिविधियों को अंजाम देना आसान हो गया है।
आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर ‘अपने ग्राहक को जानें’ (केवाईसी) और ‘ऋण और अग्रिम’ से संबंधित कुछ निर्देशों का पालन न करने के लिए 1.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने कहा कि उसने 31 मार्च, 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में एक वैधानिक निरीक्षण किया। इसके बाद बैंक को एक नोटिस जारी किया गया। नोटिस पर बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने पाया कि पीएनबी ने सब्सिडी/रिफंड/प्रतिपूर्ति के माध्यम से सरकार से प्राप्त राशि के बदले दो राज्य सरकार के स्वामित्व वाले निगमों को कार्यशील पूंजी मांग ऋण मंजूर किए थे।