भारतीय रिजर्व बैंक ने कल एमपीसी बैठक की घोषणा की। इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि लोगों को महंगे लोन से अभी राहत नहीं मिलने वाली है। हालांकि, इस बीच केंद्रीय बैंक ने यूपीआई इस्तेमाल करने वालों के लिए एक खास घोषणा की है। नई सुविधा जोड़ते हुए आरबीआई ने कहा कि इससे लेनदेन करने में और राहत मिलेगी। यह सुविधा यूपीआई लाइट के लिए दी गई है।
यूपीआई लाइट को सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था। इसे यूपीआई के जरिए पैसों के लेनदेन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए लॉन्च किया गया था। इसे कई प्लेटफॉर्म पर शुरू भी किया जा चुका है। इसकी मदद से आप आसानी से यूपीआई ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। जिसके लिए पिन और दूसरी जानकारी भरने की जरूरत नहीं होगी। यानी कम समय में भी आप यूपीआई लाइट का इस्तेमाल करके आसानी से पेमेंट कर सकते हैं। अब इसे और आसान बनाने के लिए एक और नया फीचर जुड़ने जा रहा है।
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यूपीआई लाइट को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने इसमें कई बदलावों की घोषणा की है। आरबीआई ने कहा कि इसे ई-मैंडेट के तहत लाने का प्रस्ताव है। इससे ग्राहकों के लिए एक नई सुविधा शुरू होगी और लेन-देन करना आसान हो जाएगा। RBI ने कहा कि इसमें एक स्वचालित सुविधा जोड़ने की योजना है। जिसके तहत अगर किसी के पास तय सीमा से कम बैलेंस है, तो UPI लाइट वॉलेट में अपने आप पैसे भर जाएंगे।
नए फीचर का क्या फायदा होगा?
भारतीय रिजर्व बैंक ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत UPI लाइट वॉलेट के लिए ऑटो-रिप्लेनिशमेंट सुविधा शुरू कर रहा है। यह नया फीचर ग्राहकों को अपने UPI लाइट वॉलेट में बैलेंस के तय सीमा से कम होने पर अपने आप पैसे भरने की सुविधा देगा। फिलहाल, UPI लाइट वॉलेट ग्राहकों को ₹2000 तक पैसे भरने और प्रति ट्रांजेक्शन ₹500 तक भुगतान करने की सुविधा देता है।
वॉलेट में अपने आप टॉप-अप हो जाएगा
नए ऑटो-रिप्लेनिशमेंट फीचर के साथ, उपयोगकर्ताओं को हर बार बैलेंस कम होने पर अपने वॉलेट को मैन्युअल रूप से रीलोड नहीं करना पड़ेगा। इसके बजाय यह अपने आप उनके बैंक खाते से टॉप-अप हो जाएगा, जिससे भुगतान करना आसान हो जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि यह सुविधा प्राप्त फीडबैक के आधार पर की गई है। इसका उद्देश्य यूपीआई लाइट को और अधिक सुविधाजनक बनाना है।
गौरतलब है कि आरबीआई ने चुनाव नतीजों के बाद नीतिगत अनिश्चितता के बीच मुद्रास्फीति पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हुए रेपो दर को अपरिवर्तित रखा है। मौद्रिक नीति समिति ने शुक्रवार को रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने के लिए चार से दो मतों से मतदान किया। यह निर्णय लोकसभा चुनाव नतीजों के कुछ दिनों बाद आया है।